कुछ बात तो है इस दिल को बेकरार किया उसने। ~एकांत नेगी
खरीद लाये थे कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
जुल्फें तेरी बादल जैसी आँख में तेरे समंदर है,
कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
भटका हूँ तो क्या हुआ संभालना भी खुद को होगा।
जो मेरा हो नहीं पाया, वो shayari in hindi तेरा हो नहीं सकता।
सुना है कि महफ़िल में वो बेनकाब आते हैं।
वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,
हुजूर लाज़िमी है महफिलों में बवाल होना,
बेचैन दिल को सुकूं की तलाश में दर-ब-दर तो न कर,
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता,